अपने चाहतों की महफिल को सजाएंगे तेरे हुस्न के दरिया में डूब जाएंगे बहुत मुश्किल से दिया है प्यार की इजाजत ऐसा लगता है तुम्हारे प्यार के सिवा कुछ याद रहेगा नहीं सब कुछ भूल जाएंगे
गलतफहमी में इंसान अपनों के बीच में अपना वजूद खो देता है हर कदम सोच समझकर चलना चाहिए
आहिस्ता आहिस्ता यूँ ही अपनी मीठी बातों के जाम से दिल को गुदगुदाती रहो नशाये आशिक सा तुम्हें देखता रहूं अपनी आंखों से मेरा इरादा पूछती रहो और समझाने की कोशिश मैं करता रहूं
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